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आखिर इनके दर्द की दवा कहां मिलेगी
इंडो नेपाल बार्डर के करीब डेढ से दो सौ गांव की गरीब महिलाओं के पास रोटी और रोजी के लिए कुछ नहीं है। मजबूरियो के बीच यहां की ज्यादातर निचले वर्ग की महिलाओं ने अन्न से लेकर मादक पदार्थों की तस्करी को अपनी रोजी बना लिया है।
जिसका नतीजा यह है कि अब तक दो दर्जन से अधिक महिलाएं मादक पदार्थो की कैरियर के रुप में तस्कारी का सामान नेपाल से भारत में पहुंचाने के दौरान इंडो नेपाल बार्डर पर सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगी और पकडी गयी। अब यह महिलाए यूपी के महराजगंज जिले की जेल में वीचाराधीन र्कैदी के रुप में दिन रात काट रही हैं। पकडी गयी महिलाओं का दर्द कुछ और है।
नेपाल में रोजी रोटी की कमी और भारत के गांव या शहर में इन मजदूर महिलाओं को दोनो देशों की कानूनी पेंचीदगी ने तबाह कर दिया। सरकारी योजनाओ के लिए नेपाली मूल की महिलाओं को यहां का निवास प्रमाण पत्र नहीं मिल सकता। जिसकी वजह से वह नेपाल से महज दो किमी दूर भारत के गांव या कस्बों में सरकारी योजनाओं में काम नहीं कर सकती। एक तरफ पेट की भूख तो दूसरी तरफ काम की चिंता और मजबूरी में इन महिलाओं का उपयोग तस्करों ने कैरियर बना कर इनके जीवन को दो राह पर खडा कर दिया। आखिर इन गरीब महिलाओं के दर्द की दवा कहां मिलेगी। इस पर भारत सरकार को भी पहल करने की जरुरत है।
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